देश के कोने कोने से आए किसान नेताओं ने लगाई आवाज किसानों का हक ना मारे सरकार वरना…
आरा/पीरो (सेराज खान) : पीरो के पड़ाव मैदान में आयोजित विशाल ‘किसान मुक्ति रैली’ ऐतिहासिक रैली बन गया. MP राजस्थान कर्नाटका बिहार उत्तर प्रदेश झारखंड समेत देश के कोने-कोने से आए किसानों ने कारपोरेट घरानों पर जमकर हमला बोला. हजारों लोगों के सामने किसानों के हक की लड़ाई के लिए संघर्ष जारी रखने का ऐलान किया गया. यह सब अखिल भारतीय किसान महासभा के बैनर तले आयोजित किया गया था.ऐतिहासिक रैली का गवाह हजारों लोग बने. किसानों को रैली के माध्यम से संबोधित करते हुए अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय महासचिव राजाराम सिंह ने कारपोरेट लुटेरों से देश को मुक्त कराने के लिए, आगामी 20 नवम्बर को भारी तादाद में देश की संसद के समक्ष जुटने का आह्वान किया. किसान संसद के नाम से आयोजित सभा की अध्यक्षता अखिल भारतीय किसान सभा के जिला सचिव व पूर्व विधायक चंद्रदीप सिंह ने की। अ.भा. किसान महासभा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य व तरारी क्षेत्र के विधायक सुदामा प्रसाद ने संचालन किया.सभा की शुरुआत भोजपुर के किसान नेताओं रमाकांत द्विवेदी रमता, रामनरेश राम, मास्टर जगदीश, रामेश्वर यादव, बूटन मुसहर को श्रद्धांजलि देने और सभास्थल पर लगे का. रामनरेश राम की तस्वीर पर माल्यार्पण के साथ हुई। इस अवसर पर 2007 में आज ही के दिन दिवंगत हुए जनगीतकार-कथाकार विजेंद्र अनिल को भी श्रद्धांजलि दी गई।सभा को सम्बोधित करते हुए कॉ. राजाराम सिंह ने कहा कि भाजपा-संघ परिवार की मोदी सरकार किसानों के भूमि लूट, सब्सिडी में कटौती व समर्थन मूल्य में कमी के जरिये उन्हें लगातार मौत के मुंह में धकेलते जा रही है.उन्होंने कहा कि शाहाबाद 1857 के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम के नायक वीर कुंवर सिंह की धरती है। हमलोग देश के किसानों को धर्म व सम्प्रदाय के नाम लड़वाने व दंगा-फसाद करवाने के जरिये जनता की एकता को तोड़ देने की साजिश का मुंहतोड़ जवाब देंगे। देश के किसानों ने अंग्रेजों से इस देश को मुक्त कराया था। अब वे दुबारा इसे कम्पनी राज के हवाले करने की साजिश में लगी कारपोरेट-फासीवादी ताकतों को रसातल में भेजकर ही दम लेंगे. सभा को सम्बोधित करते हुए अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय नेता बीजू कृष्णन ने कहा कि देश के किसानों की दुर्दशा इस वजह से है कि उन्हें लागत से कम दाम पर अपना अनाज बेचना पड़ता है, सरकारी बैंक भी उन्हें कर्ज नहीं देते। वे महाजनी कर्ज के बोझ से दबकर हर रोज आत्महत्या कर रहे हैं. इस किसान मुक्ति यात्रा में हमने महसूस किया है कि किसान विरोधी मोदी सरकार के खिलाफ पूरे देश भर के किसानों की एकजुटता बन रही है.सभा को सम्बोधित करते हुए किसान संघर्ष समिति (मप्र) के नेता व पूर्व विधायक डॉ. सुनीलम ने कहा कि नरेंद्र मोदी ने अपने चुनावी घोषणापत्र में किसानों को लागत से डेढ़ गुना अधिक समर्थन मूल्य देने की घोषणा की थी। लगता है यह भी उनका चुनावी जुमला है. एआईकेएमएस के आर. चंद्रशेखर ने कहा आज देश को भोजन देने वाले किसानों के लिए आफत का समय आ गया है। वह गांव से पलायन और आत्महत्या के लिए विवश है.जय किसान आंदोलन के संयोजक अभीक शाह ने कहा कि किसानों को बैंकों के साथ-साथ साहूकारों के कर्जों से भी मुक्ति चाहिए. पूर्व विधायक और अखिल भारतीय किसान सभा के जिला सचिव चंद्रदीप सिंह ने कहा कि यह उमड़ता जनसैलाब जिले और सूबे के मजदूर-किसानों की एकता का संदेश है. सभा को स्वाभिमानी शेतकरी संगठन (महाराष्ट्र) के नेता प्रह्लाद हिंगोले, किसान मजदूर विकास संगठन के अनिल सिंह, अ. भा. किसान महासभा के नेताओं पुरुषोत्तम शर्मा (उत्तराखण्ड), प्रेम सिंह गहलावत (हरियाणा), हीरा गोप व पूरन महतो (झारखंड), रामाधार सिंह, विश्वेश्वर यादव, शिवसागर शर्मा, उमेश सिंह, राजेंद्र पटेल (बिहार) समेत आदि दर्जनों नेताओं ने भी सम्बोधित किया। नेताओं ने कहा कि किसानों से कहा कि वे व्यापक एकता और संघर्ष के जरिये ही देश के किसानों व किसानी को बचाना संभव होगा। उन्होंने भरोसा जताया कि आगामी 20 नवम्बर को हजारों किसान यहां से चलकर दिल्ली पहुचेंगे इससे पहले ‘किसान मुक्ति यात्रा’ म शामिल नेताओं का स्वागत व सभा का संचालन करते हुए तरारी विधायक सुदामा प्रसाद ने कहा कि भोजपुर के किसानों के बेटों द्वारा संचालित 1857 के जनविद्रोह की धरती है। यहां 1942 में लसाढ़ी में ब्रिटिश हुकूमत से संघर्ष करते हुए कई महिला-पुरुष शहीद हुए। 1967 मे शुरू नक्सलबाड़ी किसान विद्रोह की चिंगारी जब भोजपुर पहुंची और का. रामनरेश राम, मास्टर जगदीश, रामेश्वर यादव, बूटन मुसहर, शीला, अग्नि, लहरी, डाॅ. निर्मल, नारायण कवि के नेतृत्व में क्रांतिकारी किसान आंदोलन का दावानल भड़क उठा, जो आज भी जारी है। मणि सिंह, भैया राम यादव और सतीश यादव जैसे नौजवानों के संघर्ष और शहादत के दम पर और ताकतवर हुई है। रैली को युवा किसान नेता राजू यादव, अलख नारायण चौधरी, रामकिशोर राय, कामता प्रसाद सिंह, भाकपा-माले के जिला सचिव जवाहरलाल सिंह, युवा माले नेता अजित कुशवाहा, विमल यादव, क्यामुद्दीन, दिलराज प्रीतम तथा अखिल भारतीय किसान सभा के स्थानीय नेता शिवप्रकाश राय और दिवाकर राय आदि ने भी संबोधित किया। रैली में भाकपा-माले केंद्रीय कमेटी सदस्य नंदकिशोर प्रसाद, माले राज्य स्थायी समिति के सदस्य संतोष सहर, जसम के राज्य सचिव सुधीर सुमन, आइसा के राज्य सचिव शिवप्रकाश रंजन, जनगायक निर्मोही और राजू रंजन, महिला नेत्री शोभा मंडल और संगीता सिंह समेत कई विशिष्ट लोग मौजूद थे। रैली में लिए गए प्रस्ताव रैली ने सात सूत्री प्रस्ताव पारित कर देश के सभी किसानों का बैंक और महाजनी कर्ज माफ करने, फसलों के समर्थन मूल्य को दुगना करने, बिहार में 15 नवंबर से धान की खरीद शुरू करने, बटाईदारों को पहचान-पत्र समेत तमाम सुविधाएं देने की मांग की तथा शराबबंदी के नाम पर गरीबों पर हो रहे अत्याचार को अविलंब रोकने को कहा किसान मुक्ति रैली की कुछ झलकियां 1. यह किसान मुक्ति यात्रा का चौथा चरण था जो 29 अक्टूबर को कोलकाता से शुरू होकर पश्चिम बंगाल और झार
Source: देश के कोने कोने से आए किसान नेताओं ने लगाई आवाज किसानों का हक ना मारे सरकार वरना… – Lives Bihar