हिमाचल सेब उत्पादक संघ: 18 जुलाई 2022
कार्टन की कीमतों ने तोड़ी बागवानों की कमर
बागवानों को राहत देने के लिए GST किया जाए कम
महंगे कार्टन के विरोध में 20 जुलाई को सेब बहुल क्षेत्रों में धरना
25 जुलाई को केंद्रीय कृषि मंत्री को दिल्ली जाकर ज्ञापन सोपेगा बागवानों का प्रतिनिधिमंडल
शोघी बैरियर पर APMC द्वारा की जा रही अवैध वसूली पर लगाई जाए रोक
अवैध वसूली नहीं रोकी तो 5 अगस्त को APMC कार्यालय ढली के बाहर धरना देगा सेब उत्पादक संघ
सेब की पैकेजिंग सामग्री की कीमतों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी ने बागवानों की कमर तोड़कर रख दी है। कार्टन की कीमतों में 10 से 20 फीसदी और ट्रे की दाम 20 से 35 फीसदी तक बढ़े है। बीते साल मोहन फाइबर कंपनी की ट्रे का एक बंडल 500 रुपए मिल रहा था। इस बार प्रति बंडल 800 रुपए देने पड़ रहे है। इसी तरह सेपरेटर, स्टैपिंग मशीन, स्टैपिंग रोल की कीमतों में भी 10 फीसदी तक का इजाफा हुआ है।
कार्टन के अलावा सेब का तुड़ान, भरान, ढुलाई, पेटी को मंडी तक पहुंचाने पर आने वाली लागत भी दोगुना हुई है। ठीक ऐसे ही फफूंदनाशक, कीटनाशक, खाद इत्यादि कृषि इनपुट की कीमतें भी दो साल में लगभग दोगुणा हुई है। इसके विपरीत सरकार ने इन पर मिलने वाली सब्सिडी खत्म कर कृषि व बागवानी पर गंभीर संकट खड़ा किया है।
यही वजह है कि बागवान 5000 करोड़ रुपए के सेब उद्योग को बचाने के लिए सड़कों पर उतर आए हैं। प्रदेश का बागवान पहले ही महंगे कार्टन की मार झेल रहा था। ऐसे में केंद्र सरकार ने गत्ते पर GST 12 से बढ़ाकर 18फीसदी करके बागवानों के जख्मों पर नमक लगाने का काम किया है। सेब उत्पादक संघ कार्टन की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए GST दर को 5 फीसदी तक घटाने और सब्सिडी जारी बागवानों को राहत देने की मांग करता है।
किलो के हिसाब से सेब बेचने की व्यवस्था जरूरी
प्रदेश में APMC की मंडियों में बागवानों को सरेआम लूटा जा रहा है। मंडियों में बागवानों का सेब प्रति किलो के हिसाब से न बेचकर अंदाजे से बेचा जाता है। बागवानों को सेब का मूल्य 20 से 22 किलो की पेटी मानकर दिया जाता है, जबकि प्रति पेटी बागवान 25 से 35 किलो तक सेब भरते है। अच्छे दाम के लिए आढ़ती बागवानों पर हाइ ग्रेडिंग का दवाब बनाते है। इनके दबाव में आकर कई बागवान प्रति बेटी सात लेयर सेब भरने लगे हैं। सेब उत्पादक संघ मांग करता है कि दुनिया व देश की मंडियों की तर्ज पर हिमाचल प्रदेश की मंडियों में भी किलो के हिसाब से सेब बेचने की व्यवस्था की जाए।
शोघी बैरियर पर बंद की जाए बागवानों से अवैध वसूली
APMC शिमला द्वारा शोघी बैरियर पर मार्केट शुल्क के नाम पर सालों से एक फीसदी अवैध वसूली की जा रही है। प्रति पेटी चार से पांच रुपए काटकर बागवानों को सरेआम लूटा जा रहा है। APMC एक्ट में इस तरह वसूली का कोई प्रावधान नहीं है। बागवानों से इस तरह की वसूली तत्काल प्रभाव से बंद होनी चाहिए। जो बागवान शोघी होते हुए सोलन या परवाणू के लिए सेब ले जाते हैं। पहले वह शोघी में मार्केट शुल्क देते हैं। इसके बाद सोलन या फिर परवाणू मंडी में दोबारा उसी सेब पर शुक्ल काटा जाता है। इस तरह APMC ने सेब को कमाई का जरिया बना दिया है, जबकि 2014 में मुद्रा स्फीति के बहुत ज्यादा बढ़ने पर केंद्र ने सभी राज्यों को कृषि व बागवानी उत्पाद पर मार्केट शुक्ल बंद करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद हिमाचल में अन्य सभी उत्पादों पर मार्केट शुल्क बंद कर दिया गया जबकि सेब पर मार्केट शुल्क काटा जाता है। यह सेब बागवानों से धोखा है।
बागवानों की लंबित पेमेंट का जल्द किया जाए भुगतान
APMC एक्ट में उपज बेचते ही किसानों-बागवानों की पेमेंट 24 घंटे के भीतर देने का प्रावधान है, लेकिन सरकारी मंडियों में कई बागवान ऐसे है जिन्हें दो से तीन साल पहले की पेमेंट भी नहीं मिल पाई है। ऐसे सभी बागवानों की पेमेंट का जल्द भुगतान होना चाहिए।
ओलावृष्टि व बर्फबारी से हुए नुकसान का दिया जाए मुआवजा
हिमाचल का किसान बागवान पहले ही कोरोना महामारी और प्राकृतिक आपदा की भी मार झेल रहा है। बीते साल अप्रैल माह की असामयिक बर्फबारी से सेब व अन्य फलों को 280 करोड़ (सरकारी रिपोर्ट के अनुसार) का नुकसान हुआ था। इसके एवज में बागवानों को एक साल से अधिक समय बीतने के बाद भी मुआवजा तक नहीं दिया गया। इस साल भी सूखे की वजह से बागवानों को भारी नुकसान हुआ है। बर्फबारी और ओलावृष्टि से हुए नुकसान की भरपाई के लिए सरकार राहत कोष से किसानों के लिए पैकेज जारी करें। किसानों का केसीसी लोन और ब्याज माफ किया जाना चाहिए। जिन किसानों के पास केसीसी लिमिट नहीं है। उनकी फसल को भी बीमा योजना के तहत लाया जाए।
MIS में बढ़ोतरी ऊंट के मुंह में जीरा
प्रदेश सरकार ने 14 जुलाई को संपन्न मंत्रिमंडल बैठक में मंडी मध्यस्थता योजना (MIS) के तहत सेब समेत दूसरे फलों का खरीद मूल्य एक रुपए बढ़ाया है। यह ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा है। सेब की बात की जाए तो विपरीत भौगोलिक परिस्थितियों और तकनीक में पिछड़ा होने की वजह से प्रति किलो सेब तैयार करने पर लगभग 26 रुपए की लागत आती है और राज्य सरकार 10.50 रुपए के हिसाब से MIS के सेब खरीदने की बात कर रही है। इसका मूल्य कम से कम 16 रुपए होना चाहिए। यही नहीं MIS योजना का 16.56 करोड़ HPMC और 8 करोड़ से ज्यादा की बागवानों की पेमेंट हिमफैड के पास लंबित है। इसका बिना विलंब के नगद भुगतान होना चाहिए।
सेब उद्योग बचाने को आयात शुल्क 100 फीसदी किया जाए
सेब उद्योग पर इससे भी बड़ा संकट आयातित सेब के कारण मंडरा रहा है। सेब उत्पादक संघ इंपोर्ट ड्यूटी को 50 से बढ़ाकर 100 फीसदी करने की मांग करता है। वहीं अफगानिस्तान के साथ लाए जा रहे सेब पर प्रतिबंध की मांग करता है। अफगानिस्तान के रास्ते ईरान और तुर्की का सेब भारी मात्रा में लाया जा रहा है क्योंकि साफ्ता (साउथ एशियन फोरेन एग्रीमेंट ट्रेड) संधि की वजह से अफगानिस्तान से बिना आयात शुल्क के आयात व निर्यात होता है लेकिन ईरान और तुर्की इसी का फायदा उठाते हुए अफगानिस्तान के रास्ते भारत के बाजार में सेब भेज रहे है। राज्य व देश के अन्य राज्यों के सेब उद्योग को बचाने के लिए अफगानिस्तान के रास्ते ईरान व तुर्की से लाए जा रहे सेब के आयात पर प्रतिबंध लगाने की मांग करता है।
भट्टाकुफर मंडी शुरू नहीं करना APMC की साजिश
APMC की नाकामी से भट्टाकुफर मंडी को दो साल बाद भी शुरू नहीं किया जा सका है। मंडी के पिछले हिस्से को साजिश के तहत असुरक्षित बताया जा रहा है। सेब उत्पादक संघ भट्टाकुफर मंडी को जल्द शुरू करने की मांग करता है।
जम्मू कश्मीर की तर्ज पर खरीद की जाए शुरू
जम्मू कश्मीर में सरकार नेफेड के माध्यम से तीन ग्रेड में सेब का क्रय करती है। ए ग्रेड सेब 64 रुपए प्रति किलो, 40 रुपए के हिसाब से बी ग्रेड सेब खरीदती है। हिमाचल सरकार को भी ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए। इससे सेब के बाजार भाव गिरने की सूरत में बागवानों को हल्की राहत मिलेगी।
20 जुलाई को धरना, 25 को कृषि मंत्री को दिल्ली में देंगे ज्ञापन
एपल इंडस्ट्री को बचाने के लिए सेब उत्पादक संघ संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले 20 जुलाई को ठियोग, रोहड़ू, रामपुर, निरमंड, नारकंडा, खोलीघाट, आनी इत्यादि सेब बहुल क्षेत्रों में प्रदर्शन करेगा। 25 जुलाई को सेब उत्पादक संघ का प्रतिनिधिमंडल बागवानों की इन मांगो के लकर दिल्ली में केंद्रीय कृषि मंत्री को ज्ञापन सौंपेगा। APMC द्वारा शोघी बैरियर बंद नहीं करने की सूरत में सेब उत्पादक संघ 5 अगस्त कृषि उपज विपणन समिति के ढली कार्यालय के बाहर धरना देगी।