कृषि संकट के खिलाफ संयुक्त संघर्ष की जरूरत-हन्नान मौल्ला

हिसार
12 सितम्बर
‘किसान के पास पगड़ी है परन्तु इज्जत नहीं, जेब है पैसा नहीं’ -केवल भूमि है जिसको भी छीनने की तैयारी है।
उक्त विचार आज स्थानीय सुशीला भवन में आयोजित राज्य स्तरीय सेमिनार में अपने संबोधन में प्रो. योगेन्द्र यादव संयोजक जय किसान आंदोलन ने प्रकट किए। सेमिनार आज अखिल भारतीय किसान सभा के 34वें राष्ट्रीय सम्मेलन के लिए गठित स्वागत समिति द्वारा आयोजित किया गया था। सेमिनार का विषय ‘कृषि संकट के खिलाफ संयुक्त संघर्ष’ था। सेमिनार की अध्यक्षता भू वैज्ञानिक डा. रामनिवास कुंडू, व संचालन पूर्व बागवानी अधिकारी डा. बलजीत भ्यान ने किया। सेमिनार को किसान सभा के राष्ट्रीय महासचिव व पूर्व सांसद कामरेड हन्नान मौल्ला, किसान सभा के नेता भूपेन्द्र सांबर, किसान खेत मजदूर यूनियन के का. सत्यवान, किसान महासभा के महेन्द्र चोपड़ा व स्वागत समिति के महासचिव का. इन्द्रजीत ने संबोधित किया।
सेमिनार का उद्घाटन करते हुए अपने संबोधन में किसान सभा राष्ट्रीय महासचिव व पूर्व सांसद का. हन्नान मौल्ला ने कहा कि आज देश की बुनियाद पर हमला है। देश की विविधता, लोकतंत्र पर हमला है। आज किसान वर्ग की जरूरत है मौजूदा सत्ता को बदलना। उन्होंने आहवान किया कि देशभर में कोई भी किसान संगठन, किसान मंच आदि जो भी किसानों के हित में लड़ना चाहता है किसान सभा खुले मन से मंच सांझा करेगी।
इस अवसर पर प्रो. योगेन्द्र यादव ने कहा कि आज किसान का स्वार्थ देश का स्वार्थ है। इतिहास की गति के लिए मजबूत किसान आंदोलन की जरूरत है। हमें विचारों का पुनर्निमाण करना होगा। खुले बाजार से किसान का भला संभव नहीं है। आज हरित क्रांति के अनुभव हमारे सामने हैं। आधुनिक कृषि की सीमाओं पर विचार करने की जरूरत है। आदिवासी, दलितों, महिलाओं को भी किसान मानना शुरू करना होगा। उन्होनें खेती-गांव व किसान की व्यापक एकता को समय की जरूरत बताया। उन्होंने आहवान किया कि हमें पूर्वाग्रहों को छोड़कर व्यापक राजनैतिक किसान आंदोलन का निर्माण करें। गैर राजनैतिक किसान आंदोलन की बात करना एक भ्रम है। अखिल भारतीय किसान-मजदूर की ओर से सत्यवान ने मुद्दा आधारित संघर्ष के प्रस्ताव का जोरदार समर्थन किया। किसान महासभा की ओर से महेन्द्र चोपड़ा ने भी किसानों के मुख्य मुद्दों और समस्याओं पर अपने विचार रखे।
सेमिनार की शुरूआत में राष्ट्रीय सम्मेलन की स्वागत समिति के सचिव का. इन्द्रजीत सिंह ने हरियाणा की कृषि की परिस्थितियों पर अपना प्रस्ताव रखा। सेमिनार में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित करके मांग की गई कि बिना शर्त के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बाजरा की खरीद हो, प्रदेश में सूखे, भारी वर्षा व सफेद मक्खी से बर्बाद फसलों का मुआवजा दिया जाए। राजस्थान के किसान आंदोलन का समर्थन किया। सेमिनार में ‘देस हरियाणा’ पत्रिका, सुरेन्द्र पाल सिंह द्वारा संपादित पुस्तक ‘कृषि संकट-बदल रहा किसान आंदोलन’, डा. बलजीत सिंह भ्याण द्वारा लिखित पुस्तक ‘50 वर्षों में हरियाणा कृषि की दशा और दिशा’ का विमोचन किया गया।
सेमिनार में किसान सभा के राज्यध्यक्ष का. शेर सिंह, राज्य महासचिव फूल सिंह श्योकन्द, पूर्व विधायक कामरेड हरपाल सिंह, वित्त सचिव राज्य प्रदीप सिंह, बनवारी लाल बिश्नोई, आर.सी.जग्गा, आनन्द देव सांगवान, विक्रम मित्तल एडवोकेट, डा. सुभाष चन्द्र, बलबीर नम्बरदार, शकुन्तला जाखड़, विरेन्द्र भागोरिया, मा. मोलड़ सिंह, सूबे सिंह बूरा, माकपा राज्य सचिव का. सुरेन्द्र मलिक ने भाग लिया।
जारीकर्ता
डा. बलजीत भ्याण
संयोजक सेमिनार कमेटी