Photo Gallery: Kisan Pratirodh Rally, Lucknow

Thousands of farmers gathered in Lucknow from different parts of Uttar Pradesh to press for their specific demands, mainly the loan waiver. Men and women, old and young were holding placards in their hands with demands inscribed on them.

Women farmers and farm laborers had also attended the rally, organized by the All India Kisan Sabha, in large number. In one voice, they said that officials at block level do not listen to their grievances.

Comrades Subhashini Ali and Hannan Mollah, Polit Bureau Members, Comrades Ashok Dhawale and Hiralal Yadav also addressed the gathering along with other leaders.

किसान प्रतिरोध रैली में गूंजा ‘आत्महत्या नहीं संघर्ष करेंगे’
किसानों को डुबाने की साजिश है एनपीए : अशोक ढवले
गांव-गांव पदयात्रा, तहसील, डीएम कार्यालय और विधान सभा का होगा चरणबद्ध घेराव
लक्ष्मण मेला मैदान में किसानों का रहा भारी जमावड़ा

लखनऊ। उत्तर प्रदेश किसान सभा के बैनर तले आज लक्ष्मण मेला मैदान में विशाल ‘किसान प्रतिरोध रैली’ का आयोजन किया गया, जिसमें राज्य के कोने-कोने से आये हजारों किसानों ने ‘आत्महत्या नहीं संघर्ष करेंगे’ की हुंकार भरी। किसानों ने संकल्प लिया कि वे गांव-गांव, तहसीलों, जिला मुख्यालयों और विधान सभा तक चरणबद्व मार्च करेंगे तथा अपने हक की लड़ाई लड़ेंगे।

रैली के मुख्य वक्ता महाराष्ट्र में किसानों लांग मार्च के नायक व अखिल भारतीय किसान सभा के अध्यक्ष अशोक ढवले नें कहा कि देश और प्रदेश की मौजूदा सरकारों के एजण्डे से किसान गायब हो चुका है। ये सरकारें नीरव मोदी, माल्या जैसे लोगों की समर्थक है जो देश की जनता का पैसा लेकर विदेशों में भाग कर मौज करते हैं। अपनी बात शुरू करते हुए उन्होने उ0प्र0 किसान सभा को बधाई दी कि प्रदेश के कोने कोने से किसान सभा द्वारा चलाए जा रहे अभियान के क्रम में इस रैली का आयोजन किया। उन्होने कहा कि यह रैली ऐसे वक्त में हो रही है जब कल 14 तारीख को उत्तर प्रदेश और बिहार में उपचुनाव के नतीजे आये हैं और किसान विरोधी मोदी और योगी सरकार के खिलाफ जनता ने अपने गुस्से को जाहिर किया है। श्री ढवले ने कहा कि देश के कोने कोने पर किसानों के संघर्ष चल रहे हैं। आज उ0प्र0 की यह रैली उन संघर्षो में महत्वपूर्ण कड़ी है। आज बैंकों का सबसे बड़ा कर्ज कोर्पोरेट लिये बैठें है और उसका ब्याज भी सरकार माफ कर दे रही है। जिसका खमियाजा किसानों को कर्जे में डूबकर आत्महत्या करके चुकाना पड़ रहा है। उन्होंने किसानों से एकजुट होकर अपने हक की लड़ाई को तेज करने का आह्वान किया।

किसान सभा के केन्द्रीय महामंत्री हन्नान मोल्ला ने किसान सभा के संघर्षों को याद करते हुए लखनऊ में उसकी नींव होने का जिक्र किया। उन्होंने कहाकि यदि किसानों को उनकी फसलों का सही दाम मिलने लगे तो इस देश के किसानों को खुशहाली से कोई नहीं रोक सकता। हमारा किसान मेहनतकश है और वह पथरीली जमीन से भी सोना उगा सकता है। बस जरूरी है कि उसे उसकी लागत मूल्य का वाजिब दाम मुहैया कराया जाये। यह तभी संभव हो पायेगा, जब सरकार देश में स्वामीनाथ आयोग की रिपोर्ट को लागू करेगी। परन्तु पिछले लोकसभा चुनाव में छाती ठोंक कर इसे लागू करने का दंभ भरने वाले नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बनने के बाद आज तक इससे मुंह मोड़ने का कार्य कर रहे हैं। किसानों को अपने अधिकार, संघर्ष और आन्दोलन के दम पर लेने होंगे। हमारा संघर्ष इतना तीखा और तीव्र होना चाहिए जिससे हमारा दुश्मन कांप जाए और हमारा दोस्त प्रफुल्लित हो जाए।

अखिल भारतीय खेत मजदूर यूनियन की उपाध्यक्ष व पूर्व सांसद सुभाषिनी अली ने कहाकि प्रदेश सरकार की कर्जमाफी जैसी लुभावनी बातें हवा-हवाई थी। जमीनी स्तर पर किसी किसान का 10 रूपये माफ किया गया तो किसी का 40, जबकि दावे करोड़ों के हुए हैं। यह सरकार केवल जुमलेबाजी से ज्यादा कुछ कर रही है। ऊपर से नोटबंदी कर किसानों की कमर तोड़ने का काम अवश्य की है। अ.भा. किसान सभा के संयुक्त सचिव एन.के. शुक्ला ने कहाकि मोदी और योगी की सरकार ने किसानों के साथ वादाखिलाफी का काम किया है। कृषि क्षेत्र गहरे संकट के दौर से गुजर रहा है। खेती घाटे का सौदा बन गई है। इसके लिए सरकारी नीतियां जिम्मेदार है। हमें इसका प्रतिरोध करना चाहिये, अन्यथा कब हम अपना खेत होते हुए भी पूंजीपतियों के गुलाम बन जाएंगे। पता ही नहीं चलेगा।

राज्य किसान सभा के उपाध्यक्ष डॉ. हीरालाल यादव ने कहाकि हमारी मुख्य मांगों में फसलों की लागत का डेढ़ गुना दाम दिलाने की है। ताकि किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारा जा सके। यही नहीं खाद, बीज, डीजल और बिजली आदि को सब्सिडी दर पर उपलब्ध कराये जाने की भी मांग है, जिससे कृषि के स्तर को सुधारा जा सके। उपाध्यक्ष दीनानाथ सिंह ने कहाकि उत्तर प्रदेश में बिजली की दरों में काफी वृद्धि हुई है, जिससे किसानों के ऊपर सिचाई का बोझ बढ़ता चला जा रहा है। इसे सरकार तत्काल वापस ले। उन्होंने कहाकि सरकार खेती में ठेकाकरण को बढ़ावा दे रही है जो किसानों की प्रगति के लिए घातक है। इसे तत्काल न रोका गया तो किसाना बड़े आंदोलन को मजबूर होंगे।

उपाध्यक्ष व पूर्व विधायक डीनानाथ सिंह ने किसानों के ऊपर सरकारी, सहकारी तथा अन्य तरह के कर्ज के माफ किये जाने की मांग की तथा सरकार द्वारा ब्याज मुक्त कर्ज की व्यवस्था भी शुरू किये जाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहाकि यदि सरकारें हमारी मांगों को गंभीरता से नहीं लेंगी तो मजबूर हमें आंदोलन का सहारा लेना पड़ेगा। रैली की अध्यक्षता राज्य किसान सभा के अध्यक्ष भारत सिंह ने किया, जबकि संचालन कार्य महामंत्री मुकुट सिंह ने संभाला। इस अवसर पर प्रदेश भर से बड़ी संख्या में आये किसानों ने आवारा पशुओं से फसलों का बचाव, बर्बाद फसलों का मुआवजा दिलाने, पशुओं की खरीद-फरोख्त पर से पाबंदी हटाने, किसानों व गरीबों को 5000 रूपये मासिक पेंशन के साथ इलाज और शिक्षा को फ्री किये जाने जैसी मांगों को बुलंद किया।

रैली के शुरूआत में ही मुकुट सिंह ने प्रमुख मांगे तथा उसपर आगे के आन्दोलन व रणनीति पर विचार रखा जिसपर सभी किसानों ने लड़ाई तेज करने की कहा कि उत्तर प्रदेष में भी प्रमुख मुद्दे व मांग फसलों की लागत का डेढ़ गुना दाम और किसानों को कर्ज मुक्ति के वादे को प्रधानमंत्री पूरा करें। योगी सरकार से मांग है कि उ0प्र0 में बिजली की दरों में भारी वृद्वि और 7 जिलों में निजीकरण वापसी, खेती में ठेकाकरण और कार्पोरेटीकरण रोको, पशु व्यापार पर पाबंदियां हटाकर आवारा पशुओं से फसल की रक्षा, 60 पार किसानों-मजदूरों को 5000 रू0 प्रतिमाह पेंशन, सभी को सस्ता राशन, बिगड़ती कानून व्यवस्था, महिलाओं, दलितों व अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न को रोका जाए।