39 दिनों के आंदोलन के बाद हटाए गए पंचायत सचिव, आदिवासी महासभा ने चक्का जाम की जगह निकाला विजय जुलूस
मनरेगा मजदूरी और आवास योजना में घोटाले का आरोप पंचायत सचिव पर लगाया गया था। इन्हें हटाने की मांग को लेकर आदिवासी एकता महासभा के नेतृत्व में पिछले 39 दिनों से चल रहा धरना शुक्रवार को समाप्त हो गया। पंचायत सचिव को हटाने का आदेश जारी होने के बाद ग्रामीणें ने जश्न मनाया। आदिवासी एकता महासभा ने पीड़ित मजदूरों की मजदूरी और आवास योजना के प्रभावित हितग्राहियों की राशि का शीघ्र भुगतान करने की मांग की है।
आदिवासी एकता महासभा के जिला सचिव सुरेंद्र लाल सिंह ने बताया कि चंदन गुप्ता ग्राम पंचायत पाठकपुर के सचिव होने के साथ ही कल्याणपुर ग्राम पंचायत का भी प्रभार संभाल रहे थे। उन पर मनरेगा मजदूरी और आवास राशि के भुगतान में घोटाला करने की शिकायत इन पंचायतों के ग्रामीणों ने सूरजपुर जनपद के कार्यपालन अधिकारी से की थी, लेकिन उन पर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही थी।
ऐसी स्थिति में ग्रामीणों ने जनपद सदस्य किमलेश, सरपंच परमेश्वरी सिंह, पूर्व जनपद सदस्य बाल सिंह, पूर्व सरपंच सुरेंद्रलाल सिंह तथा आदिवासी एकता महासभा व छत्तीसगढ़ किसान सभा के नेताओं ऋषि गुप्ता, माधो सिंह, प्रदीप कुमार, भीम सिंह, जगदास, अलीराम राजवाड़े, केदार राजवाड़े, पारसनाथ सिंह, सुख साय, महेश, विमल सिंह, मन बोध, राजेश कौशिक, वेदनाथ राजवाड़े, बीरबल आदि के नेतृत्व में आंदोलन शुरू कर दिया था। अपनी मांगों के समर्थन में अनिश्चितकालीन धरना में बैठ गए थे। धरने में बड़ी संख्या में महिलाएं भी हिस्सेदारी कर रही थीं। आंदोलनकारी नेताओं ने कई बार जिला प्रशासन के उच्च अधिकारियों से मिलकर दोषी सचिव के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग की थी।
शुक्रवार को आदिवासी एकता महासभा द्वारा चक्का जाम की घोषणा की गई थी और महिलाओं सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण एकत्रित हो गए थे, लेकिन चक्का जाम आंदोलन के पहले ही तहसीलदार लटोरी ने उन्हें सचिव को हटाने की जानकारी दी। यह जानकारी मिलते ही आंदोलनकारियों का चक्का जाम विजय जुलूस में बदल गया। विजय जुलूस के बाद धरना स्थल पर आम सभा की गई तथा अनशनकारियों को जूस पिलाकर धरना समाप्त करने की घोषणा की गई।