Press Conference against the arrest of Akhil Gogoi

Bhoomi Adhikaar Andolan held a Press Conference against the arrest of Akhil Gogoi under the NSA. AIKS General Secretary Hannan Mollah, Roma and Ashok Choudhary, AIUFWP Dr.Sunilam and Madhuresh, NAPM addressed the Press Conference.

भूमि अधिकार आंदोलन ने की अखिल गोगई को रिहा करने की मांग
रिहाई को लेकर राष्ट्रव्यापी अभियान चलाने की घोषणा
डिब्रूगढ़ जेल में नहीं मिलने देना बंदी अधिकारों का हनन

कृषक मुक्ति संग्राम समिति के नेता अखिल गोगई पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा दर्ज कर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत गिरफ्तार किये जाने के मुद्दे को लेकर अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय महामंत्री, पूर्व सांसद श्री हन्नान मौला, आल इंडिया यूनियन आफ फॉरेस्ट वर्किंग पीपुल की उपमहामंत्री सुश्री रोमा एवं जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय के राष्ट्रीय संयोजक एवं पूर्व विधायक डॉ सुनीलम द्वारा प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए असम सरकार से अखिल गोगई की तुरंत बिना शर्त रिहाई की अपील की तथा असम सरकार से गिरफ्तारी को लेकर श्वेत पत्र जारी करने की मांग की। नेताओं ने कहा कि रिहाई को लेकर राष्ट्रीय अभियान चलाया जाएगा। भू-अधिकार आंदोलन द्वारा किसान नेताओं को अखिल गोगई से डिब्रूगढ़ जेल में नहीं मिलने देने की निंदा की गई तथा इसे बंदी अधिकारों एवं मानव अधिकारों का हनन बताया गया।

श्री हन्नान मौला ने कहा कि भारत का संविधान देश के हर नागरिक को सरकार और सत्तारूढ़ दल के खिलाफ अपना विचार रखने की आजादी और अधिकार देता है। सरकार या उसकी नीतियों से विभिन्न मत होने के कारण किसी को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। ऐसा करना स्वतंत्र अभिव्यक्ति के संवैधानिक अधिकारों का हनन होगा। अखिल गोगई गत डेढ़ दशक से असमियों के भूमि अधिकार को लेकर सतत आंदोलन कर रहे हैं। आंदोलन को कुचलने के उद्देश्य से उन पर गैर-संवैधानिक तरीके से राष्ट्रद्रोह की कार्यवाही की गयी है। भूमि अधिकार आंदोलन असम सरकार की दमनात्मक कार्यवाही के खिलाफ देशभर के मानव अधिकार पसंद नागरिकों के साथ मिलकर जनमत तैयार करेगा तथा कानूनी कार्यवाही में कृषक मुक्ति संग्राम समिति को सहयोग करेगा।

सुश्री रोमा ने कहा कि अखिल गोगई वन अधिकार कानून का लाभ हर असमवासी को दिलाने के लिए लम्बे समय से संघर्षरत हैं। इस कानून का लाभ मूलवासियों को देने की बजाय असम सरकार अखिल गोगई पर कार्यवाही कर रही है। अखिल ने असम में लगातार हावी हो रही सांप्रदायिक ताकतों को खुली चुनौती दी है। यही कारण है कि सरकार एक जन आंदोलनकारी पर राष्ट्रद्रोह का फर्जी मुकदमा लगाकर उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत कार्यवाही कर रही है। असम सरकार की कार्यवाही को सभी जन आंदोलन एवं प्रगतिशील संगठन पूरे देश में चुनौती देंगे। उन्होंने कहा कि पूर्व में विनायक सेन, सीमा आजाद पर इस तरह की कार्यवाही की गयी थी, लेकिन न्यायालय से उन्हें देर से ही सही जमानत मिली। अब अखिल गोगई और भीम सेना के चंद्रशेखर पर भी इस तरह की कार्यवाही की गयी है जिससे स्पष्ट होता है कि भाजपा देश में लोकतंत्र-स्वतंत्र अभिव्यक्ति के अधिकार को कुचलने पर आमादा है।

डॉ सुनीलम ने बताया कि 11 नवंबर को उन्होंने सांसद एवं स्वाभिमानी श्वेतकारी संगठन के अध्यक्ष राजू शेट्टी के साथ डिब्रूगढ़ जेल जाकर अखिल गोगई से मिलने का प्रयास किया था लेकिन डिब्रूगढ़ के उपायुक्त द्वारा अनुमति नहीं दिये जाने के चलते मुलाकात नहीं हो सकी। उपायुक्त द्वारा पहले न्यायपालिका के आदेश और बाद में पुलिस वैरीफिकेशन नहीं हो पाने को अनुमति नहीं देने का कारण बताया। गृह सचिव, मुख्य सचिव ने हस्तक्षेप करने से इन्कार किया तथा मुख्यमंत्री ने मिलने से इन्कार कर दिया। सुरक्षा कर्मियों द्वारा बताया गया कि वे सो रहे हैं, इस कारण मुलकात संभव नहीं है। डॉ सुनीलम ने बताया कि 12 नवंबर को गुवाहाटी में 5 किसान संगठनों द्वारा आयोजित 10 हजार से अधिक किसानों की जनसभा में अखिल गोगई की रिहाई की मांग की गयी। उन्होंने बताया कि अखिल गोगई पर मुकदमा दर्ज होने के बाद से ही पूरे असम में लगभग रोज विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, जिनमें बड़ी संख्या में असम के आम नागरिक भाग ले रहे हैं। गांव गांव में अखिल गोगई को रिहा करने को लेकर समितियां बनाई जा रही हैं तथा हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा है। कृषक मुक्ति संग्र्राम समिति द्वारा अगले महीने असम में रैली आयोजित की जाएगी जिसमें देशभर के लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और मानव अधिकारों में विश्वास रखने वाले नागरिक संगठन और पार्टियां को आमंत्रित किया जाएगा। डा सुनीलम ने कहा कि अखिल गोगई को रिहा कराने को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर अभियान समिति का गठन किया जाएगा, जिसमें भूमि अधिकार आंदोलन सक्रिय भूमिका लेगा। उन्होंने कहा कि किसी भी जन आंदोलन तथा जन शक्ति के उभार को राजनैतिक बदले की भावना से राज्य दमन के माध्यम से नहीं कुचला जा सकता।
उल्लेखनीय है कि अखिल गोगई को असम की भाजपा सरकार ने धारा 120बी, 121,124, 109, 153, 153ए के तहत राष्ट्रद्रोह के आरोप में 13 सितंबर को शाम को 6 बजे कृषक मुक्ति संग्राम समिति के गोलाघाट कार्यालय से गिरफ्तार किया था। 25 सितंबर को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम का उपयोग कर लंबे समय के लिए जेल में रखने का षडयंत्र किया गया है। राजनैतिक बदले की कार्यवाही इसलिए की गई, क्योंकि वह लगातार सरकार के भ्रष्टाचार को उजागर कर रहे थे। मध्य प्रदेश के व्यापम घोटाले की तर्ज पर हुए असम पब्लिक सर्विस कमीशन घोटाले को पहले सरकार ने रफा-दफा करने की कोशिश की लेकिन तथ्यों के आधार पर (पैसा देकर नौकरी पाने) 25 अधिकारियों को जेल भेजना पड़ा। इस घोटाले में 241 नौकरियां भाई-भतीजावाद तथा 10 लाख से 40 लाख रुपये रिश्वत लेकर दी गई थीं।

इसी तरह पीने का पानी सप्लाई का ठेका घूस लेकर अमरीकी कंपनी को देने का अखिल का आरोप सच निकला। स्वयं कंपनी ने घूस देना स्वीकार किया। अखिल गोगई जन वितरण प्रणाली, ग्रामीण क्षेत्रों और विभिन्न विभागों में भ्रष्टाचार को उजागर करते रहे हैं। जहां कहीं भी आर एस एस का प्रशिक्षण चलता है, वहां जाकर कृषक मुक्ति संग्राम समिति के कार्यकर्ता घृणा और नफरत फैलाने की राजनीति का प्रतिकार करते हैं। नागरिकता कानून में किये जा रहे संशोधन का वे पुरजोर विरोध कर रहे हैं। संशोधन के माध्यम से असम सरकार षडयंत्र पूर्वक अल्पसंख्यकों में असुरक्षा की भावना पैदा कर रही है। अखिल गोगई, असम में सद्भाव और सौहाद्रता बिगाड़ने वाली हर नीति, व्यक्ति, संगठन, पार्टी और सरकार के खिलाफ हैं। वे असम के कुछ इलाके को केंद्र सरकार और नागालैंड के अतिवादी समूहों के समझौते के तहत नागालैंड को दिये जाने को चुनौती देकर पूरी जानकारी सार्वजनिक करने की मांग कर रहे हैं। किसानों, मजदूरों, गरीबों, अल्पसंख्यकों, महिलाओं और छात्रों में समिति की पैठ लगातार बढ़ती चली जा रही है। गत वर्षों में अखिल गोगई तथा कृषक मुक्ति संग्राम समिति की लोकप्रियता लगातार बढ़ती गयी है जिससे घबराकर कृषक मुक्ति संग्राम समिति को सरकार कुचलना चाहती है।

उल्लेखनीय है कि अखिल गोगई के नेतृत्व में कृषक मुक्ति संग्राम समिति का गठन 2005 में किया गया था। समिति किसानों के भूमि अधिकार को लेकर लड़ती है, असम के मूल निवासियों की जमीनों को छीन कर अंग्रेजों ने चाय बागान लगवाये थे। असम में हर वर्ष बाढ़ और नदियों के कटाव के कारण हजारों नागरिक प्रभावित होते हैं। समिति नागरिकों के भूमि अधिकारों को लेकर कोई समझौता करने को तैयार नहीं है। समिति बड़े बांध बनने नहीं देती, यानी भू-अधिग्रहण किसानों की ताकत से रोक देती है। ऐसे ही एक आंदोलन में दीपक टंटी शहीद हुए। 22 जून 2011 को समिति के आंदोलन पर पुलिस फायरिंग हुई, जिसमें 4 साथी (बीरेन कलिता, शिव कुमार चौहान, रूहुल अली, जरीना बेगम) शहीद हुए। 19 सितंबर में हुई फायरिंग में 2 साथी (अंगना खातून, फखरूद्दीन अली) शहीद हुए। 24 फरवरी, 2014 को दिसपुर सचिवालय के सामने असम की जनता को भू-अधिकार नहीं दिए जाने के विरोध स्वरूप एक कार्यकर्ता प्रणब बोरो ने आत्मदाह कर लिया।

अखिल गोगई पर असम की सरकारें पूर्व में भी लगातार फर्जी मुकदमें दर्ज करती रही हैं। उन्हें लगातार विभिन्न आरोपों में गिरफ्तार भी किया जाता रहा है। लेकिन इस बार लम्बे समय जेल में रखने और कृषक मुक्ति संग्राम समिति के कार्यकर्ताओं का मनोबल तोड़ने के उद्देश्य से उन पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा दर्ज कर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत कार्यवाही की गयी है।

नोटः आप अधिक जानकारी के लिए भासको डे सेकिया, अध्यक्ष 8811892162, वेदांता 9957936841, सुब्रत चक्रवर्ती, सलाहकार 9435019836; ईमेलः secretarykmss@gmail.com, Head office: Daksha Prasad Deka Bhawan, Gandhibasti, Chandmari, Guwahati-3 (Assam). Contact No.- 0361-2669968 (fax), 9435604826, 9854604401, 8721909438 पर सम्पर्क कर सकते हैं।