किसान और देश को बचाना है तो नेता और नीतियां दोनों को बदलना होगा ; डॉ. अशोक धवले

शमसाबाद (आगरा) : “भारत का किसान आज जितनी कष्टपूर्ण और असहनीय त्रासदी की स्थिति से गुजर रहा है, ऐसा हाल के इतिहास में पहले कभी नहीं रहा । विडम्बना की स्थिति यह है कि देश में राज कर रहे हुक्मरानों की चिंता में देश की 60-65 प्रतिशत आबादी की तकलीफें सिरे से गायब हैं ।” इस बात के साथ आज एक सेमीनार को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय किसान सभा के अध्यक्ष और महाराष्ट्र के किसानों के लॉन्ग मार्च के नायको में से एक डॉ. अशोक धवले ने कही ।


उन्होंने कृषि संकट की भयावहता को बयान करने वाले अनेक तथ्य और विवरण रखते हुए कहा कि लाखों किसान आत्महत्या करने के लिए विवश हैं । आत्महत्यायें इतनी बढ़ गयी हैं कि 2016 से सरकार ने इनके आंकड़े जारी करना बन्द कर दिए हैं ।  90 फीसद किसान कर्ज के फंदे में फंसे हुए हैं, किसान परिवारों में भुखमरी पसरी हुयी है, लाखों आदिवासी बच्चे तक भूख से मर रहे हैं । खेती को तरजीह देने, कृषि विकास के लिए सार्वजनिक खर्चा बढ़ाने, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की बजाय मोदी सरकार किसानों से उनकी जमीन छीनकर कारपोरेट कंपनियों को थमा रही हैं । किसानों को राहत देने की बजाय बैंकों का लाखों करोड़ रुपया नीरव मोदियों और विजय माल्याओं को लुटा रही है ।


डॉ. धवले ने कहा कि आज खेती किसानी का जो संकट राष्ट्रीय संकट बन गया है, एक सामाजिक संकट बन गया है वह 18वीं और 19 वीं शताब्दी में पड़े अकालों की तरह मानव निर्मित संकट है । यह आफत सत्ता में बैठे नेताओं और उनके द्वारा अपनाई गयी नीतियों का नतीजा है । इससे उबरना है तो नीतियां भी बदलनी होंगी नेता भी बदलने होंगे । जिस तरह किसान अपनी खेत से खरपतवार साफ़ करता है उसी तरह उसे कारपोरेट और हिंदुत्वी साम्प्रदायिकता की खरपतवार को देश के राजनीतिक पटल से साफ़ करना ।
सेमीनार के दूसरे वक्ता अ.भा. किसान सभा के संयुक्त सचिव बादल सरोज ने आगामी लोकसभा चुनाव के मुद्दों को रेखांकित किया । मोदी सरकार को अब तक की सबसे बड़ी वायदा खिलाफ सरकार बताते हुए उन्होंने कहा कि 2014 के लोकसभा चुनावों के वक़्त जिन वादों के साथ यह जीतकर आयी थी उनमे से एक को भी लागू करना तो दूर रहा, उसके ठीक विपरीत दिशा में देश को धकेल दिया । प्रतिवर्ष दो करोड़ रोजगार के दावे से आये थे मगर अकेली नोटबंदी के तुगलकी फैसले से 5 करोड़ रोजगार खत्म कर दिए । खेती किसानी को घाटे का सौदा बनाकर लाखों किसानों  को बेरोजगार किया, राफेल घोटाला तो एक बानगी भर है, मोदी सरकार ने घोटालों के महाकीर्तिमान कायम किये है, शिक्षा और स्वास्थ्य को बहुमत हिन्दुस्तानियों की पहुँच से बाहर कर दिया है: इन सारे अपराधों की सजा 2019 के लोकसभा चुनावों में दी जानी चाहिए ।
उन्होंने कहा कि अपनी विभाजनकारी विचारधारा से भाजपा सरकार ने भारत को सिर्फ आर्थिक दृष्टि से ऊपर से ही कमजोर नहीं किया है,  देश और उसकी जनता की एकता को इस कदर विभाजित किया है जितना पिछली कई सदियों में कभी नहीं रहा । देश भर में फैलाये जा रहे साम्प्रदायिक उन्माद, गाय के बहाने दलितों मुस्लिमों पर प्राणघातक हमले, मनुवादी समझ से संविधान को बदलने से लेकर  उत्तरपूर्व में नागरिकता क़ानून तज से स्पष्ट है कि भाजपा रही तो कौमी एकता और राष्ट्रीय अखण्डता सलामत नहीं रहेगी।


इस सेमीनार की अध्यक्षता क्षेत्र के प्रतिष्ठित समाजसेवी डॉ. यशपाल सिंह परमार ने की संचालन उ.प्र. किसान सभा के अध्यक्ष भारत सिंह ने किया ।


सेमीनार का आयोजन शमसाबाद में जारी अ.भा. किसान सभा के हिंदी राज्यों के केंद्रीय प्रशिक्षण शिविर के दौरान खुले आयोजन के रूप में किया गया था । आज के प्रशिक्षण शिविर में देश भर के किसानों के संयुक्त आंदोलन तथा उनके स्वतंत्र आंदोलनों के साथ अंतरसंबंध विषय पर अ. भा. किसान सभा के अध्यक्ष डॉ. अशोक धवले ने तथा संगठन पर संगठन के वित्त सचिव पी कृष्ण प्रसाद ने कक्षाये लीं । दोनों सत्रो की अध्यक्षता क्रमश: मास्टर शेर सिंह (हरियाणा) तथा मुकुट सिंह महासचिव उत्तर प्रदेश किसान सभा ने की ।
शिविर कल 14 फरवरी तक चलेगा ।

भारत सिंह, अध्यक्ष उत्तरप्रदेश किसानसभा